किस्मत! जब मजदूर के एकाउंट में अचानक आ गए 200 करोड़! फिर आगे जो हुआ…..
मजदूर शवर्मा एक साधारण सा इंसान था, जिसने अपनी हार्दिक मेहनत और परिश्रम से अपनी परिवार को पाल रखा था। अपनी छोटी-सी दूकान में वह ब्रेड और खालीजा बनाकर प्रतिदिन आपातकालीन ट्रेंड को पूरा किया करता था और एक हंसमुख परिवार की चाहत लिए जीता था।
एक दिन जब शवर्मा अपने दुकान की साफ-सफाई कर रहा था, तभी उसकी नजर एक अकाउंट से उठकर एक बड़े नंबर पर गई। वह इसे आैपने देखा नहीं था, इसलिए इसे देखने के लिए उसने अपने सहायक को बोला।
तभी जब उसने आईफ़ोन को चलाया, उसने खुद को एक घटना पर मुब्तकर देखा – 200 करोड़ रुपये उसके अकाउंट में जमा हो गए थे। शवर्मा अपने चश्मे को सही करके दोबारा देखा, लेकिन वही संख्या अभी भी दिखाई देती थी।
‘कैसे संभव है?’ उसने अपने आप से पूछा। मिस्ट्रीस होने की संभावना भी सोचते समय, वह ऊब गया था, क्योंकि एक जीवनभर परिश्रम करने के बावजूद, उसे ऐसा भाग्यशाली मिल रहा था।
शवर्मा ने सोहन को बुलाया, जो उसका सबसे पुराना दोस्त और समाधानवादी था। सोहन आने के बाद, शवर्मा ने इस परिस्थिति को पूरी तरह से समझाया।
सोहन ने एक हंसी दिया और कहा, ‘दोस्त, तेरे साथ ऐसा ही होना चाहिए था। तू सबसे इमानदार नगरिक है, हार्डवर्किंग है और सच्चाई की एक मिसाल है।’
फिर, सोहन ने विस्तार से पूछा, ‘तुमने अभी तक पैसों की समयानुसार जाँच की है?’
शवर्मा मुंह छिड़ाया और कहा, ‘नहीं। मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरे पास तो सोने का कोई न्यूमिस्मा भी नहीं है।’
सोहन की हँसी आगे बढ़ी और उसने कहा, ‘वैसे, तुम जो है, यह तुम्हारी अापने आप की किस्मत नहीं, बल्क बैंक की टेक्निकल गड़बड़ी का नतीजा है।’
शवर्मा चौक गया। उसने कहा, ‘यह कैसे हो सकता है?’
सोहन ने विस्तार से समझाया, ‘देखो, बहुत सी बैंक ग्राहकों को ऐसे धन के बहुत बड़े भुगतान करने पड़ते हैं। इस प्रकार की तकनीकी चूक के बावजूद, बैंक गर्व करता है कि वह सुरक्षित और विश्वसनीय है।’
शवर्मा ने विश्वास नहीं किया, लेकिन फिर भी सोहन ने कहा, ‘तेरे पास कोई मतदाता नहीं है। एक समय के बाद, यह तय हो जाता है कि धनराशि तुम्हारे अकाउंट से हटा दी जाएगी। तब तक, इसे काम में लें और चुपचाप घर ले जाएं।’
इसके बाद, शवर्मा अपने आप को काबू में लेते हुए, एक योजना तैयार की जिसमें उसने अकाउंट से जमा पैसे को हटाने के लिए शोध करने की घोषणा की। उसने एक इंजीनियर से संपर्क कर उससे मदद मांगी और उसे सभी संभावित स्थितियों को ध्यान में रखते हुए पैसे को हटाने और अपने अकाउंट में जमा करने की एक तकनीक तैयार करने के लिए कहा।
सोहन ने उससे कहा, ‘तुमने सोचा क्यों नहीं कि उस धन द्वारा तुम कितने लोगों की मदद कर सकते हो?’
शवर्मा मुँहटोड़ रह गया। उसकी सोच में कुछ सेकंड के लिए रुकावटी हैलांकि फिर उसने यह सोचा कि शायद सोहन सही हो सकता है।
सोहन का फ़ोन तब बजा, सोहन ने फ़ोन उठाया और उसे यह बताया कि धन के बचाए हुए मजदूर को दूसरे लोगों के सहायता के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है।
शवर्मा की आंखों में आँसू थे। उसने आत्मसम्मान से अपने उद्घाटन आक्रमणकारी द्वारा थपथपाया, सोचता हूँ लेकिन बिना कुछ कहे, अपनी बड़ी कीमती वस्त्रों को सब के लिए दान किया। वह कहता था, ‘हम एक बड़े वस्त्र बनाएँगे जो हमने सबके लिए दान करने हैं।’
हर कोई आश्चर्यचकित हुआ और बड़े प्रशंसा का साथ अपेक्षित किया। शवर्मा के जीवन की दिशा बदल गई थी और वह जमीनी आदर्शों के आधार पर पहली बार धन की परिभाषित मुद्रा को अचरजित नहीं कर रहा था। इस प्रकार, उसने स्वयं की किस्मत बदली और खुद को एक नेतृत्व का मार्गदर्शन करने वाले बनाया।