अभी हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक बड़ा बयान किया गया है, जिससे अब आईआईटी और अन्य प्रमुख टेक्नोलॉजी एवं अभियांत्रिकी संस्थानों में संस्कृत और समुद्री परंपरा की पढ़ाई की जाएगी। यह बयान शिक्षा मंत्री की तरफ से किया गया है और इसका मुख्य उद्देश्य है भारतीय संस्कृति, साहित्य और परंपरा को बचाएं और युवा पीढ़ी में ज्ञान और संस्कृति के प्रति रुचि उत्पन्न करें।
इस बयान के अनुसार, आईआईटी और अन्य प्रमुख टेक्नोलॉजी संस्थानों में अब संस्कृत और समुद्री परंपरा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ाया जाएगा। इससे आपदा काल में बचाव का कार्यक्रम भी सक्रिय हो सकेगा और यह देश को स्वावलंबी बनाने में मदद करेगा।
बयान के अनुसार, संस्कृत और समुद्री परंपरा द्वारा कई वैज्ञानिक और तकनीकी शोध कार्यक्रम चल रहे हैं, जिनमें नवीनतम तकनीकी विकास और प्रगति शामिल है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जंगम जीवन का उन्नयन संस्कृत और समुद्री परंपरा में होता है और इन विषयों की ज्ञान बढ़ाने से हम आधुनिक जीवन की समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं।
इस नई पहल के बारे में शिक्षा मंत्री ने कहा, “हमारा मकसद है युवा पीढ़ी को खुश रखना और उन्हें हमारी संस्कृति और परंपरा के प्रति रुचि उत्पन्न करना। हम इससे विज्ञान, प्रष्ठभूमि और तकनीकी क्षेत्र में ज्ञान और मौजूदा विचारधारा को बढ़ावा देना चाहते हैं।”
इस पहल का लाभ विद्यार्थियों के लिए भी होगा, जो अब अधिक से अधिक विषयों में रुचि ले सकेंगे और यह उनके विकास में मदद करेगा। आईआईटी कोर्स के तहत पठन कर रहे छात्रों को संस्कृत और समुद्री परंपरा से पूरी तरह से अवगत होने का मौका मिलेगा, जो उनके करियर को एकांत में ओरिएंट करेगा।
यह बदलाव शिक्षा क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा मायने रखता है। संस्कृत और समुद्री परंपरा की पढ़ाई करने से विद्यार्थी भारतीय मूल्यों, विचारधारा और परंपराओं के प्रति समझदार और प्रभावशाली बनेंगे। इससे देश के मौलिक मूल्यों और संस्कृति के प्रति उनकी सम्मान और आस्था बढ़ेगी।
अब अन्य टेक्नोलॉजी संस्थानों को भी आईआईटी की इस पहल का उद्धार करना चाहिए और संस्कृति और समुद्री परंपरा को अपनाना चाहिए। यह सेवा-संप्रदाय के आधार पर आगे बढ़ाने और भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी प्रशंसा करने का एक अच्छा मौका है।
इस पहल का प्रारंभ हो रहा है और संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है। यह एक विचारधारा की नई दृष्टि है और यह शिक्षा मंत्रालय के शिक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे हमारी युवा पीढ़ी का उदय और विज्ञान और परंपरा के मेल को बढ़ावा मिलेगा और देश की सशक्ति और विकास में यह एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा।