भारत में चुनावी प्रक्रिया में उपयोग होने वाले ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन’ (EVMs) के चारों ओर विवाद जारी हैं। कुछ लोग इन EVMs को हैक करके चुनाव परिणामों में हाथ डालने के संदेह में रहते हैं। इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए चुनाव आयोग ने अपने इनकार करने वाले क्रिटिक्स को कई बार छलकाया है।
चुनावी प्रक्रिया में ईवीएम (EVM) का प्रयोग एक सुविधाजनक कदम माना जाता है। इसका उपयोग वोटरस और चुनाव कर्मियों को सुगम और आसान बनाने के लिए किया जाता है। इन मशीनों को विकसित करने और सुरक्षित बनाने के लिए चुनाव आयोग ने निरंतर कार्य किया है।
हालांकि, कई लोग इन EVMs की सुरक्षा पर सवाल उठाते हैं और उन्हें शंका होती है कि ये मशीनें हैक हो सकती हैं। ऐसी शंकाएं उठाई जाती हैं क्योंकि EVMs की योजना बहुत जटिल है और इसे हैक करना आसान नहीं होता है। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने सुरक्षा के लिए कई उपाय अपनाए हैं जो इन मशीनों को सुरक्षित बनाते हैं।
EVMs को हैक करने के लिए एक व्यक्ति को आपत्तिजनक कदम उठाने की आवश्यकता होती हैं, क्योंकि इन मशीनों को सीलबंद और सुरक्षित रखा जाता हैं। चुनाव के प्रथम चरण के पहले, EVMs के कोनों को सीलबंद कर दिया जाता हैं और उन्हें खोलने के लिए विशेष छाप दी जाती हैं। ध्यान रहे कि इसे किसी भी ओर से खोला जाना असंभव हैं।
दूसरे चरण में, कई चुनाव कर्मियों के उपस्थित रहने के बावजूद यदि किसी व्यक्ति को EVM को हैक करने की कोशिश करनी होती है, तो उसे EVM को खोलने की अनुमति मिलेगी। परंतु इसके बावजूद, चुनाव आयोग ने ऐसा संघर्षी प्रतिष्ठान में बदलने के लिए सुनिश्चित किया है ताकि कोई भी हैकिंग की कोशिश रोक दी जा सके।
चुनाव आयोग ने भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स व प्रशासनित हथियार निगम (बीएल) के साथ मिलकर नई और उन्नत EVMs का विकास किया है। ये मशीनें ड्यूल कन्ट्रोल यूनिट्स (डीसीयू) के साथ आती हैं जिनमें मतगणना और प्रदर्शन का कार्य होता है। डीसीयू में चार स्क्रीन होते हैं जहां पर वोटरस वोटिंग कर सकते हैं। इसके बाद, प्राथमिक व्यवस्थापक इकाई (पीयू) द्वारा संग्रहीत वोट डिटेल को एक सेंट्रल व्यवस्थापक इकाई (सीपीयू) में भेजा जाता है जहां वोटों की गिनती की जाती हैं।
भारत में होने वाले चुनावों में EVMs के उपयोग से जुड़े किसी भी अप्परेन्ट इग्जेनरिंग लैबोरेटरी (एईईआरडीईएल) के मानदंडों की पालना की जाती हैं। इन लैबोरेटरीयों का कार्यक्षेत्र EVMs की परीक्षा, संदर्भ मानदंडों का निर्धारण, सार्वज्ञिक के लिए EVMs और बीपीएट्री का प्रमाणीकरण, रिसर्च और विकास आदि हैं। इन लैबोरेटरीयों ने भी ऐसी सुरक्षा उपायों को विकसित किया हैं जो EVMs की सुरक्षा को और भी मजबूत बनाते हैं।
हालांकि, कुछ लोग अभी तक चुनाव आयोग द्वारा उठाई गई सुरक्षा प्रोटोकॉल पर संदेह करते हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के मद्देनजर और न्यायालय के निर्देश को नजरअंदाज़ करते हुए होता हैं। हालांकि, इन सभी संदेहों को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने नक्सल मुद्दों, सत्ता के अभिचारकों और अन्य पांच विद्रोही नेताओं को EVM प्रणाली पर विशेष ज्ञानार्जन भी प्रदान किया हैं।
इस प्रकार, EVMs को हैक करना मुमकिन होता हैं और इसके लिए बहुत ही कम संभावनाएं होती हैं। इसलिए, ऐसी आपत्तिजनक निकटता प्रणाली को लेकर कुछ भीमानसिक आपत्तिजनक विचार तौलिये से पूरी ज्यों समीक्षा करनी चाहिए। एक स्मार्ट और अदृश्य संवैधानिक प्रक्रिया के रूप में EVMs ने चुनावी प्रक्रिया को मजबूती से नियंत्रित किया हैं, जो भारत में लोकतंत्र को मजबूत करता हैं।