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भारत vs इंडिया: भारत के नाम का उद्भव कैसे हुआ? क्या मोदी सरकार इसे बदलने की कोशिश कर रही है? यहाँ जानें

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How did India get its name India


भारत और इंडिया, दो ऐसे शब्द जो आदिवासी जनजातियों से लेकर आधुनिक जीवनशैली वाले बंदरगाहों तक भारतीय समाज में छिपा हुआ है। यह शब्द दो अलग-अलग भावों और भावनाओं को प्रकट करते हैं और इसलिए इनके बारे में विचार करना महत्वपूर्ण है। आइए जाने कि इन दोनों शब्दों के पीछे की असली कथा क्या है और क्या मोदी सरकार इनमें से किसी को बदलने की सोच रही है।

भारत, यह शब्द संस्कृत शब्द ‘भारत’ से आया है, जो कि छात्रों के लिए ‘ज्ञान की संख्या’ के रूप में भी प्रयोग होता है। इसका मतलब होता है ‘ज्ञान की माता’ या फिर ‘अक्षत’। यह शब्द भारतीय मान्यताओं और परंपराओं का प्रतीक है, जिसमें ज्ञान, संस्कृति, धर्म और इतिहास के आधार पर एक मूर्तिमान बनता है।

इसके विपरीत, इंडिया शब्द, जो कि तुर्की भाषा के ‘हिन्दुस्तान’ शब्द से लिया गया है, संकेत करता है कि यह देश था पुरातन हिन्दुस्तान जो उत्तरी भारत, पाकिस्तान और बांगलादेश को समेटता है। यह शब्द भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रतिकों की एक सुनिश्चित छटा है जो उनके विपरीत के ज्ञान, सिद्धांत और इतिहास को बतलाती है। इंडिया शब्द मुख्य रूप से उत्तरी भारतीय संस्कृति और इसलामी सभ्यता के पार्श्वभूमि के बीच एक क्रूर इतिहास का प्रतीक है।

आजकल, इन दोनों शब्दों को लेकर तरंगता बहुत है क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है जो देश की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान को प्रभावित कर सकता है। और इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय सरकार ने गत साल यानी 2019 में भारत की एकता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय संविधान में एक संशोधन प्रस्तुत किया था।

इस संशोधन के अनुसार, भारत का पूरा नाम ‘भारत गणराज्य’ होगा और यह शब्द इंग्लिश शब्द ‘इंडिया’ का आधिकारिक हिन्दी में अनुवाद होगा। इससे उचित होने का मतलब यह है कि भारत के नाम में स्वदेशीता और सांस्कृतिक संप्रदाय का प्रमुख स्थान होगा।

मोदी सरकार के अनुसार, इस संशोधन से भारत के नाम के पीछे छिपी भावना को उजागर किया जा सकेगा और देश के लोगों को संविधान के महत्व का एहसास होगा। इसके अलावा, यहां तक कि विदेशी मेंबर्स को भी देश की स्वतंत्रता, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व की अधिक जागरूकता मिलेगी।

इसके बावजूद, इस प्रस्ताव को लेकर कई वाद-विवाद उठे हुए हैं। कुछ लोग कहते हैं कि नामों को बदलकर देश की विविधता की नकारात्मक पहचान का हिस्सा छीना जा रहा है। यहां तक कि कुछ लोगों ने इसे भ्रांति और द्वेष की एक और प्रक्रिया के रूप में देखा है।

अतः, इंडिया और भारत ये दो शब्द भारतीय समाज की संवेदनशीलता को छूने वाले मुद्दे हैं और देश की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान तक पहुंचने वाले हैं। चाहे यह नाम बदले जाएं या ना बदले जाएं, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमें हमारे देश की शानदार और विविधताओं को संजोने और मान्य रखने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।