“जवान” मूवी रिव्यू: जबरदस्त प्रदर्शन और सामरिक कहानी में दर्शकों ने खोला अपना दिल
बॉलीवुड फिल्मों की दुनिया में एक और धमाका हुआ है। सानिया खान, सिद्धार्थ मल्होत्रा और लोटिका सारकार द्वारा अभिनीत फिल्म “जवान” ने लोगों में शेखी गांई आत्मीयता को अभिव्यक्त करने के लिए। यह करिश्माई फिल्म ने दर्शकों के परचम बना लिया है।
यह कहानी एक मुख्य वीरगति सैनिक जय भारद्वाज (सिद्धार्थ मल्होत्रा) के चारों तरफ के घटनाओं को दिखाती है। उनकी योग्यता के दौरान, उन्हें एक मिशन पर भेजा जाता है, जहाँ पर उन्हें संख्याबल से संघर्ष करना पड़ता है। इस कर्म युद्ध में, जय का सामरिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। फिल्म वास्तविक मजबूरियों, अदला-बदली और संघर्ष की कठिनाइयों को उजागर करती है।
फिल्म की कथा धाराप्रवाह है, जबकि पटकथा महानता से भरी हुई है। लोगों का उत्सुकता फ्लोर पर बहती है और स्क्रीन से जुड़े प्रत्येक क्षण को खींच लेती है। इससे पहले दर्शकों ने एक पारिवारिक रिश्ता को दिखाने वाली ऐसी फिल्म का आनंद नहीं लिया था।
लोगों ने फिल्म के अभिनय की सराहना की है, सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपनी भूमिका को पूरी मेहनत और प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण से निभाया है। उनकी ख़राब सेना की प्रशिक्षण संघ द्वारा परिश्रम प्रदर्शन उनके कर्मठता की एक झलक दर्शाती है। सानिया खान और लोटिका सारकार के किरदार भी भव्यता और संघर्ष को नये स्तर पर ले जाते हैं। खस्ताहाल, धृव जैन और आत्मनिर्भर ब्रेडरी की कला भी अच्छी तरह से देखी जा सकती है।
चित्रण, संगीत, और निर्माण के क्षेत्र में भी यह फिल्म सभी दर्शकों के श्रृंगार में पूर्णता को प्रदर्शित करती है। विशेष रूप से चित्रण, जो सामरिक स्थितियों को पूरी तरह से नक्के पर लाता है। गीतों के इस्तेमाल और गीत ऐसे ही स्क्रीन के साथ जमा कर देते हैं।
“जवान” को देखकर लोगों का मनोयोन्त्र में ऐतिहासिक वापसी रच गया है। इस अनुभव से लोगों के मन में अपार उत्साह और प्रेरणा भारी है। फिल्म का निर्माण फिल्म निर्माताओं ने इस तरह किया है कि दर्शक उसे एक अनूठी अनुभवी पंक्ति में सेट कर सकें।
अंत में, “जवान” मूवी एक सामरिक करियर के बीच खास रिश्ते की कहानी है। धीरे-धीरे, फिल्म आपको एक दूसरे के बारे में व्यक्त किए गए ताजगी और अपारी भावों के साथ आदर्शों के बारे में सोचने परम्परित करती है। “जवान” एक आदर्श फिल्म है, जो लोगों के दिलों को छू गई है और रिश्ते की गहराई को बगीचे में प्रदर्शित करती है।
सुमित्रा रॉय
संवाददाता, हिंदी फिल्म रिव्यू