अरहर दाल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद, अब मसूर दाल की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह जबरन और निराशाजनक तथ्य है कि मसूर दाल के दर सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक तेजी से बढ़े हैं। इसकी वजह सरकारी तथा असरकारी मार्गदर्शन नहीं तो जमाखोरी हो सकती है।
मसूर दाल की कीमतें मंदी के कारण मार्च 2020 तक निम्न थीं। अब मार्च 2021 तक इनकी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। यह विक्रेताओं के मिलावट और खपत के कारण भी हो सकता है, लेकिन इस बात को नजरअंदाज करना गलत नहीं होगा कि असरकारी मार्गदर्शन की कमी के कारण सबसे ज्यादा शरारतगरी में इसे टालना पड़ रहा है।
मसूर दाल खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण उत्पाद है, इसलिए इसकी आपूर्ति और कीमतों की निगरानी लोगों के लिए अत्यंत जरूरी है। यह दाल उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अन्नदाता एवं जमींदारी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम प्रबंधित कर रहे हैं। यदि इसकी कीमतें बाजार में बढ़ती रहेंगी, तो ज़रूरतमंद लोगों के लिए यह अति दुःखद होगा। इसलिए इस पर अवगत हो रहना अनिवार्य है।
सरकार के हाथ यह है कि वह दाँव पर खड़ी हो और इस मुद्दे को गंभीरता से ले। वह उपभोक्ताओं के हित में अपनी नीतियों में परिवर्तन कर सकती है ताकि मसूर दाल जैसी महत्वपूर्ण दाल की कीमतें न केवल नियमित बताई जा सकें, बल्कि वो असामंजस में कटने से बचाए जा सकें।
यह सोचने की बात है कि क्या ऐसे रोज़गार के लोगों को लोगों को दिन-दूसरा दिन दलाली करके मसूर दाल की कीमत को बढ़ा रहे हैं। सरकार की तरफ यह स्पष्ट होना चाहिए कि ऐसी किसी भी गतिविधि को तबाह करने वालों को कठोरता से सज़ा देने की योजना है। ऐसी किसी भी गतिविधि ने ग्रामीण और उपभोक्ताओं के हक़ को चौंका दिया है जबकि उन्हें सुखमय जीवन जीने का अधिकार है।
अतः एक महत्वपूर्ण बात है जब मसूर दाल जैसी महत्वपूर्ण खाद्य सामग्री की बढ़ती कीमतें हम सभी को चिंतित कर रही हैं, तो सरकारी नीतियों का आवश्यक समीकरण करना भी हमारा दायित्व है। यह सिर्फ़ खुद को ही जन्मसिद्ध अधिकार नहीं देता, बल्कि मासिक बजट में खुद को हक़दार सिद्ध करता है, ताकि मसूर दाल जैसे महत्वपूर्ण ख़ाद्य उत्पादों के मूल्य में बढ़ोतरी के समय सहायता की जा सकें।
सरकार को समय रहते खुद को व्यापक और उदार नीतियों की संचालना करके मसूर दाल की कीमतों के उछाल और जमाखोरी की सेवाओं को रोकने का प्रयास करना चाहिए। इससे न केवल उपभोक्ताओं की संतोषजनकता को बनाए रखा जा सकेगा, बल्कि सुचना ज्ञान का भी जो यथायोग्य हिस्सा है उपलब्ध रहेगा।