एसपी और डीएसपी में क्या है अंतर? किसके पास है ज्यादा पावर, जानिए – सब कुछ
एसपी और डीएसपी, यानी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलिस और डिप्यूटी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलिस, हमारे देश की पुलिस में इम्पोर्टेंट पदों को दर्शाते हैं। ये दोनों पद भारतीय पुलिस सेवा में महत्वपूर्ण हैं और पुलिस प्रशासनिक सेवा (IPS) परीक्षा के माध्यम से भरे जाते हैं। यहां इन दोनों पदों के बारे में थोड़ी जानकारी हैं:
एसपी (सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलिस) का पद एक उच्चतम पद है, जिसे संचालकीय, न्यायिक और निरीक्षणात्मक कार्यों के लिए संगठित किया जाता है। एसपी पुलिस इंस्पेक्टर जनरल या सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस के बराबर होता है और उनकी सबसे बड़ी पहचान उनके कपड़ों पर पायी जाती है जो गुलाबी रंग के होते हैं। एसपी एक थानेदार के रूप में, अपनी संख्या के अनुसार, कई थानों के अधिकारी का पदभार संभालता है और अपनी क्षेत्रीय सीमा के अनुसार जिम्मेदार होता है। वे आपराधिक जिम्मेदारी टीम के साथ काम करते हैं और एक थाना क्षेत्र में अवर थाना इंस्पेक्टर या उपनिरीक्षकों का नियंत्रण रखते हैं।
अतिरिक्त बताएंगे की एसपी हरे वर्दी पहनते हैं, जबकि डीएसपी (डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलिस) ब्लू वर्दी पहनते हैं। डीएसपी पुलिस सहायक कमिशनर के समकक्ष होते हैं और उनका पद तहसीलदार, नगर निरीक्षक के बराबर होता है। डीएसपी थाने के इंस्पेक्टर, सहायक कमिश्नर के अधीनस्थ थाना प्रभारी के रूप में कम कठिन कार्य करते हैं। उनकी जिम्मेदारी तहसील या एक तहसील के हरियाणेशी होती है और वे आतंकवाद की जिम्मेदारी के साथ अपने थाना का निरीक्षण भी करते हैं।
एसपी और डीएसपी के मध्य किये गए कामों और जिम्मेदारियों में अंतर होता है। अगर हम दोनों के पावर की बात करें तो एसपी के पास अधिक सत्ता होती है। यह उनके पद के महत्त्व, गुणवत्ता और अनुभव के आधार पर होता है। एसपी पुलिस विभाग के नेता के रूप में कार्य करने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं जबकि डीएसपी उन्हें सहायक के रूप में ही डायरेक्ट अध्याक्ष या सुपरिंटेंडेंट ऑफ पोलिस को अधीनस्थित नहीं कर सकते हैं।
सामान्यतया, एसपी कार्यकाल ज्यादा होता है और इंस्पेक्टर जनरल बनने के बाद उन्हें जिला स्तर पर काम करने का अवसर मिलता है। वह जिल्ला पुलिस अधीक्षक (इंचार्ज) के पद से वेतनभोगी बन सकते हैं। अतः, एसपी और डीएसपी, दोनों पुलिस के महत्वपूर्ण पद हैं लेकिन उनमें थोड़ा अंतर है और एक दूसरे का पूरक भूमिका पाने के बावजूद, ये दोनों पद अपने तरीके से समाज की सुरक्षा और न्याय की रक्षा करते हैं।