भारतीय पुलिस सेवा में दो प्रमुख पद होते हैं – जिला मागिस्ट्रेट (District Magistrate, DM) और सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (Superintendent of Police, SP). ये दोनों पदों का महत्वपूर्ण स्थान है जहां प्रशासनिक और पुलिसीय पावर संयुक्त होता है। परंपरागत रूप से DM और SP मुख्य उμच्च अधिकारिक पद होते हैं और भारतीय समाज की न्यायपालिका और पुलिस की अहम ताकतें हैं।
DM एक दिल्ली पुलिस सेवा (Indian Police Service, IPS) अधिकारी होते हैं, जबकि SP एक प्रदेश पुलिस सेवा (Provincial Police Service) अधिकारी होते हैं। DM द्वारा काबिलियत के आधार पर प्रशासनिक कार्य किया जाता है जबकि SP द्वारा सुरक्षा एवं क़ानून एवं कर्मचारीयों के तालाबंदी का काम किया जाता है।
DM और SP दोनों की सैलरी में अंतर होता है। एक DM की सामान्य वेतनमान तो लगभग ₹1,23,000 होता है, जिसमें ₹18,000 राशि बेसिक वेतन, ₹11,250 राशि हाउस रेंट अलाउंस, ₹5400 राशि श्रेणी भत्ता और अन्य भत्ते शामिल होते हैं। साथ ही, एक SP का सामान्य वेतनमान लगभग ₹1,18,500 होता है, जिसमें ₹18,000 राशि बेसिक वेतन, ₹11,250 राशि हाउस रेंट भत्ता, ₹5400 राशि श्रेणी भत्ता और अन्य भत्ते की राशि शामिल होती है।
हालांकि, आपको यह जानकारी दे देना चाहिए कि इन वेतनों में केवल महीने के वेतन शामिल होते हैं और यह आपत्तिजनक भ्रांतियों से पूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, इन वेतनों में अन्य भत्ते, बॉनस, मेडिकल बिलवाइंस, पेंशन आदि भी शामिल होते हैं। इन अतिरिक्त आर्थिक लाभों और अनावश्यक खर्चों के कारण, यह कड़ी मेहनत करने वाले अधिकारियों को उच्च वेतन नहीं प्राप्त होता है, जैसा कि इंडियन सिविल सर्विस से जुड़े अन्य पदों में आपको उपलब्ध होता है।
दोनों पदों के धाराप्रवाह एवं पावर को महत्वपूर्ण बनाये जाना चाहिए, क्योंकि वे सीमाएं खोल सकते हैं, कानून एवं व्यवस्था को निर्माण कर सकते हैं और उनकी कार्यप्रणाली कम समय में आप्याशित परिणाम देने की क्षमता रखती है। यह दोनों पदों की हर कीमत है, चाहे वह दिन-रात तक कर्तव्य निभाने वाले अधिकारी हों या उनकी सैलरी हो।